Sridhar Vembu Zoho and Arattai: A name, a debate and the Indian identity


Sridhar Vembu Zoho और Arattai: एक नाम, एक बहस और भारतीयता की पहचान

Sridhar Vembu Zoho and Arattai: A name, a debate and the Indian identity

भारत में तकनीक की दुनिया में इन दिनों Zoho की नई मैसेजिंग ऐप Arattai और इसके पीछे खड़े शख्स Sridhar Vembu Zoho की खूब चर्चा हो रही है। Arattai की सफलता के साथ ही इसके नाम को लेकर भाषा संबंधी बहस भी शुरू हो गई है। इस ब्लॉग में जानिए Sridhar Vembu की कहानी, Arattai नाम का अर्थ, और क्यों भाषा का मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।

Sridhar Vembu: गांव से विश्व मंच तक

Sridhar Vembu Zoho
Sridhar Vembu Zoho Corporation

Sridhar Vembu का जन्म तमिलनाडु के थंजावुर जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने IIT मद्रास से ग्रेजुएशन और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। Silicon Valley में काम करने के बाद, Sridhar Vembu ने गांव लौटने का फैसला किया। उन्होंने इस धारणा को बदल दिया कि विश्वस्तरीय कंपनियां सिर्फ शहरों में बन सकती हैं। Zoho को उन्होंने तमिलनाडु के एक गांव से शुरू किया और आज यह कंपनी भारत ही नहीं, दुनिया के 180+ देशों में करोड़ों यूजर्स द्वारा इस्तेमाल की जाती है।

Arattai नाम और उसकी संस्कृति

Arattai शब्द तमिल भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘गपशप’ या ‘मस्ती भरी बातचीत’। Sridhar Vembu का मानना है कि ऐप का नाम हर भारतीय की रोजमर्रा की आम बातचीत के अहसास को दर्शाता है। यही वजह है कि उन्होंने अपनी ऐप को भारतीय भाषा का एक सादा नाम दिया, जिससे उसका जुड़ाव आम लोगों से मजबूत हो सके।

भाषा बहस की शुरुआत

जैसे ही Arattai ऐप वायरल हुई, वैसे ही उसके नाम को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज़ हो गई। कुछ लोगों का कहना था कि तमिल नाम ‘Arattai’ बाकी भारत के लोगों के लिए अंजान है और इसका उच्चारण कठिन है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी ऐसे नाम का चुनाव होना चाहिए, जो सभी भारतीय भाषाओं के यूजर्स के लिए आसान हो। दूसरी ओर बहुत से यूजर्स और भाषाई एक्सपर्ट्स ने कहा कि भारत में Xiaomi, Huawei जैसे विदेशियों के नाम हमने सीखे हैं, तो Arattai क्यों नहीं? यह बहस भारत की भाषाई विविधता और स्वदेशी पहचान को लेकर अहम हो गई।

Sridhar Vembu की सोच और जवाब

खास बात यह है कि Sridhar Vembu खुद कई बार भाषा के मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के टेक प्रोफेशनल्स को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित किया था ताकि वे देशभर में कारोबार बढ़ा सकें। अब जब उनकी कंपनी ने ऐप को तमिल नाम दिया तो यह बहस और दिलचस्प हो गई। Sridhar Vembu का कहना है कि Zoho जैसी भारतीय कंपनी को अपनी भाषा और पहचान पर गर्व है, और नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि यूजर अनुभव और प्रोडक्ट की क्वॉलिटी नाम से बढ़कर है।

सोशल मीडिया पर बहस

सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट गया। कई लोगों ने कहा कि नाम इतना मायने नहीं रखता, क्वालिटी और स्वदेशी भावना ज्यादा जरूरी है। दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि नाम विश्व स्तर पर आसान हो तो ऐप के विस्तार में आसानी होगी। सरकारी मंत्री और दिग्गज उद्यमियों ने भी Arattai को सपोर्ट किया और इसे भारत का गौरव बताया।

निष्कर्ष

Arattai की सफलता भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, और Sridhar Vembu Zoho का ये फैसला भी कि वे अपनी ऐप को भारतीय नाम के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देंगे। Arattai नाम पर छिड़ी बहस से यह साफ है कि भारत और उसकी तकनीकी दुनिया अब न सिर्फ उपयोग में आत्मनिर्भर बनना चाहती है, बल्कि नाम और पहचान से भी खुद को proudly अलग साबित करना चाहती है।


Sridhar Vembu Zoho
Arattai Indian Messaging App

यह ब्लॉग Zoho के संस्थापक Sridhar Vembu, उनके अलग सोच और Arattai नाम के जरिए भारतीय पहचान को सरल हिंदी में उजागर करता है।

References

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