Sridhar Vembu, the story of Zoho, a Tamil Nadu village-turned-global company, and the ‘Arattai’ name controversy

Sridhar Vembu, तमिलनाडु के गाँव से बनी वैश्विक कंपनी Zoho और ‘Arattai’ नाम विवाद की कहानी

Sridhar Vembu

आज के समय में जब भारत में डिजिटल क्रांति हो रही है, Zoho के मालिक Sridhar Vembu का नाम तेजी से चर्चा में है। Zoho ने ‘Arattai’ नाम की एक देसी मैसेजिंग ऐप लॉन्च की है, जो WhatsApp का बड़ा विकल्प मानी जा रही है। लेकिन Arattai सिर्फ अपनी ख़ासियतों की वजह से नहीं, बल्कि अपने नाम के कारण भी राष्ट्रीय चर्चा में है। आइए जानते हैं Sridhar Vembu, उनके सफर, ‘Arattai’ नाम के अर्थ और इस नाम पर हो रही भाषा बहस की पूरी कहानी।

Sridhar Vembu कौन हैं?

Sridhar Vembu तमिलनाडु के एक साधारण ग्रामीण परिवार में जन्मे। उन्होंने IIT मद्रास से इंजीनियरिंग और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से PhD की डिग्री हासिल की। एक समय वे सिलिकॉन वैली में काम करते थे, लेकिन अपने देश लौटकर उन्हें यकीन था कि टेक्नोलॉजी सिर्फ महानगरों के लिए नहीं, गाँवों से भी विश्वस्तरीय प्रोडक्ट बन सकते हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने गाँव में Zoho कंपनी की टीम खड़ी की, और आज Zoho पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी है। Arattai ऐप को भी Zoho की टीम ने तमिलनाडु के एक गाँव से तैयार किया है।

Sridhar Vembu कौन हैं?
Sridhar Vembu कौन हैं?

‘Arattai’ नाम का अर्थ और इसकी साझी संस्कृति

‘Arattai’ तमिल भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है ‘हल्की-फुल्की बातचीत’ या ‘गपशप’। इस नाम को रखने के पीछे Zoho का उद्देश्य था कि ऐप का इस्तेमाल हर कोई सामान्य और सरल बातचीत के लिए कर सके। हालांकि जैसे ही ऐप वायरल हुई, खासकर उत्तर भारत में इसके नाम को लेकर बहस छिड़ गई। कई लोगों का कहना था कि ‘Arattai’ नाम बोलने और याद रखने में कठिन है, और इसे कोई ऐसा नाम होना चाहिए था जो सभी भारतीय आसानी से उच्चारित कर सकें।

भाषा बहस और Sridhar Vembu की सोच

दिलचस्प बात यह है कि 2025 की शुरुआत में Sridhar Vembu ने दक्षिण भारत के इंजीनियरों और उद्यमियों से हिंदी सीखने की अपील की थी, ताकि वे हिंदी भाषी क्षेत्रों में कारोबार कर सकें। उन्होंने खुद हिंदी सीखना शुरू किया और सोशल मीडिया पर लिखा— “राजनीति को नजरअंदाज कीजिए, आइये भाषा सीखें!” उनकी इस सलाह पर भी दक्षिण भारत में कई लोगों ने नाराज़गी जताई थी, और उन्हें जवाब दिया था कि कंपनियां अपने लोगों को ट्रेनिंग देती हैं, जब ज़रूरत हो तो। अब जब उनकी खुद की ऐप का नाम तमिल में है, तो उत्तर भारत के यूजर्स इसे ‘कठिन’ बता रहे हैं और नाम बदलने की मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया दो खेमों में बंट गया। एक तरफ कुछ लोग कह रहे हैं कि नाम बदलना चाहिए ताकि ऐप पूरे भारत में लोकप्रिय हो, दूसरी तरफ यूजर्स तर्क दे रहे हैं कि Xiaomi, Huawei जैसे विदेशी नाम भी हमने सीखे हैं—तो Arattai भी सीख सकते हैं। कई लोगों ने यह भी कहा कि Zoho एक निजी कंपनी है, उसे अपनी ऐप का नाम रखने की पूरी स्वतंत्रता है। यह भाषा पहचान और संस्कृति का सवाल भी बन गया है।

Arattai की सफलता और खासियतें

नाम विवाद के बीच भी Arattai की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। तीन दिनों में 3,50000 डाउनलोड्स दर्ज हुए, और ऐप स्टोर्स में Arattai टॉप पर पहुंच गई। ऐप में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, ग्रुप कॉल, 20+ भाषाओं का सपोर्ट (जिसमें हिंदी और तमिल दोनों हैं) शामिल हैं। Sridhar Vembu का मानना है कि भारत में बने प्रोडक्ट्स को भारतीय नाम ही मिलने चाहिए। खुद सरकार के मंत्रियों ने भी इस ऐप को ‘स्वदेशी’ और सुरक्षित बताते हुए अपनाने की अपील की है।

यह ब्लॉग Zoho के मालिक Sridhar Vembu और ‘Arattai’ के नाम को लेकर छिड़ी भाषा बहस, दोनों के दृष्टिकोण और भारतीय डिजिटल स्पेस में उसकी भूमिका को सरल हिंदी में बताता है।

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