Environmental crisis
प्रदुषण की समस्या पर निबंध
पर्यावरण संकट :-
हमें पर्यावरण संकट समझने से पहले पर्यावरण क्या है ? इस संबंध में जानकारी रखने की जरूरत है l हम अपने आसपास सजीव और निर्जीव दो प्रकार की वस्तुओं से परिचित है l हमारे आस-पास पेड़ पौधे और जीव जंतु देखने को मिलते हैं जो पर्यावरण के जैविक अवयव के नाम से जाने जाते हैंl प्रकाश वायु जल और मिट्टी यह सभी पदार्थ जो हमारे आbसपास पाए जाते हैं, यह सभी अजैविक अवयव के नाम से जाने जाते हैं l अथार्थ हम कर सकते हैं जिनमें जीवन है वह सभी जैविक तत्व कहलाते हैं तथा जिनमें जीवन नहीं है वह अजैविक तत्वों कहलाते हैं l हमारा यह पर्यावरण भी जैविक और अजैविक तत्वों के मेल से बना है l पर्यावरण शब्द फ्रेंच के environer से बना है जिसका अर्थ होता है- घेरना l
विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ विश्व में पर्यावरण संकट भी उत्पन्न हो रहा है इसके बहुत सारे कारण है l विश्व के बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन शुद्ध हवा जल जैसी आवश्यकता की वस्तुओं के लिए विभिन्न प्रकार के मानव क्रियाओं से पर्यावरण संकट उत्पन्न हो रहा है lआज मानव के क्रियाओं के कारण नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है जिसके कारण पीने के लिए शुद्ध जल की कमी हो रही है शायद 2050 तक धरती के लोगों को पीने के लिए शुद्ध जल भी नहीं बचा रहेगा l
आज केवल जल ही नहीं साथ ही साथ वायु भी काफी तीव्र गति से प्रदूषित हो रहा है l इसका सबसे प्रमुख कारण है- धूम्र l कल कारखानों की चिमनियों विभिन्न प्रकार के यातायात के साधनो से निकले हुए धुऐ सो वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है जिसके कारण समस्त जीव जगत को सांस लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तरह तरह के जीव जंतु का अस्तित्व खत्म हो रहा है वायु प्रदूषण को तत्काल रोकने की जरूरत है उसके कारण तरह-तरह की बीमारियां ब्रोंकाइटिस अस्थमा दमा जैसे रोग काफी तीव्र गति से प्रसारित हो रहा है दिल्ली जैसे बड़े शहर भी शुद्ध वायु के कमी से गूंज रहा है यह भी पर्यावरण संकट का ही नतीजा हैl
मिट्टी के प्रदूषण का महत्व का पता इसी बात से चलता है कि धीरे-धीरे धरती का एक बड़ा हिस्सा बंजर होता जा रहा है धरती को बंजर होने से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के जैविक खाद का प्रयोग करना होगा इस तरह से यदि रासायनिक खादों का प्रयोग होता रहेगा पर इस धरती की मिट्टी कृषि के लायक नहीं रह जाएगी मिट्टी को बचाने के लिए जैविक खादों का प्रयोग अति आवश्यक है l
इस तरह से हम कह सकते हैं कि पर्यावरण का अजैविक अवयव प्रदूषित हो रहा है जिससे तरह तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही है और यही पर्यावरण का संकट है जीवों के लिए नुकसानदायक ही नहीं बल्कि विनाशकारी भी हैl
– मशहूर पर्यावरणविद
संतोष पांडे ‘ निर्धन ‘
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