Eutrophication and Biological Oxygen Demand in Hindi
सुपोषण ( Eutrophication )एक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में पोषक तत्वों की अधिकता है, जो पानी के रंग में बदलाव, जलीय पौधों और शैवाल के विकास में वृद्धि और ऑक्सीजन के स्तर में कमी का कारण बनता है.
सुपोषण ( Eutrophication )एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन मानवीय गतिविधियों जैसे कि कृषि, औद्योगिक अपशिष्ट और शहरी सीवेज के कारण यह तेज हो सकती है.
सुपोषण (Eutrophication) के कारण:
- कृषि: उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग पानी में पोषक तत्वों को छोड़ता है.
- औद्योगिक अपशिष्ट: कुछ उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट पानी में पोषक तत्वों को छोड़ता है.
- शहरी सीवेज: सीवेज में पोषक तत्व होते हैं, जो पानी में छोड़ जाते हैं.
सुपोषण ( Eutrophication ) के प्रभाव:
- पानी के रंग में बदलाव: सुपोषण के कारण पानी का रंग बदल सकता है, जो पानी को अस्वच्छ और बदबूदार बना सकता है.
- जलीय पौधों और शैवाल के विकास में वृद्धि: सुपोषण के कारण जलीय पौधों और शैवाल का विकास बढ़ सकता है, जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.
- ऑक्सीजन के स्तर में कमी: सुपोषण के कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों को मरना पड़ सकता है.
- स्वास्थ्य समस्याएं: सुपोषण के कारण जलीय जीवों में हानिकारक पदार्थ जमा हो सकते हैं, जो मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं.
सुपोषण को रोकने के लिए:
- उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम करना.
- औद्योगिक अपशिष्ट को उचित रूप से निपटाना.
- सीवेज को उपचारित करने के बाद ही पानी में छोड़ना.
- जलीय पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करना.
सुपोषण एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे रोका जा सकता है. सुपोषण को रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है.
Eutrophication and Biological Oxygen Demand in Hindi
जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD)
जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा का एक माप है जो पानी के नमूने में सूक्ष्मजीवों द्वारा पांच दिनों की अवधि के दौरान 20 डिग्री सेल्सियस (68 डिग्री फ़ारेनहाइट) पर खपत की जाती है। बीओडी मान जितना अधिक होगा, पानी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा उतनी ही अधिक होगी और पानी के प्रदूषित होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
बीओडी (Biological Oxygen Demand ) पानी की गुणवत्ता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। कम बीओडी मान इंगित करता है कि पानी साफ है और इसमें घुलित ऑक्सीजन का स्वस्थ स्तर है। उच्च बीओडी मान इंगित करते हैं कि पानी प्रदूषित है और इसमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं।
बीओडी का उपयोग अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की प्रभावशीलता को मापने के लिए भी किया जाता है। अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों को पर्यावरण में छोड़े जाने से पहले अपशिष्ट जल से कार्बनिक पदार्थ निकालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उपचारित अपशिष्ट जल का बीओडी कच्चे अपशिष्ट जल के बीओडी से काफी कम होना चाहिए।
बीओडी ( Biological Oxygen Demand ) परीक्षण के दो मुख्य प्रकार हैं:
- पांच दिवसीय बीओडी परीक्षण: यह बीओडी परीक्षण का सबसे आम प्रकार है। यह पानी के नमूने को 20 डिग्री सेल्सियस पर पांच दिनों तक इनक्यूबेट करके किया जाता है। पांच दिन की अवधि के दौरान पानी के नमूने में सूक्ष्मजीवों द्वारा उपभोग की गई डीओ की मात्रा को मापा जाता है।
- चौबीस घंटे का बीओडी परीक्षण: इस प्रकार का बीओडी परीक्षण पानी के नमूने को 20 डिग्री सेल्सियस पर 24 घंटे के लिए इनक्यूबेट करके किया जाता है। 24 घंटे की अवधि के दौरान पानी के नमूने में सूक्ष्मजीवों द्वारा उपभोग की गई डीओ की मात्रा को मापा जाता है।
बीओडी परीक्षण पानी की गुणवत्ता और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक मूल्यवान उपकरण है। इसका उपयोग जल निकायों पर प्रदूषण के प्रभाव की निगरानी के लिए भी किया जाता है।
यहां कुछ कारक दिए गए हैं जो बीओडी (Biological Oxygen Demand) स्तर को प्रभावित कर सकते हैं:
- पानी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा: पानी में जितना अधिक कार्बनिक पदार्थ होगा, बीओडी स्तर उतना ही अधिक होगा।
- पानी का तापमान: पानी का तापमान जितना अधिक होगा, सूक्ष्मजीव उतनी ही तेजी से कार्बनिक पदार्थों को विघटित करेंगे और बीओडी स्तर उतना ही अधिक होगा।
- पानी में ऑक्सीजन की उपस्थिति: यदि पानी में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं है, तो सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को विघटित नहीं कर पाएंगे और बीओडी स्तर कम हो जाएगा।
- प्रदूषकों की उपस्थिति: कुछ प्रदूषक बीओडी परीक्षण में हस्तक्षेप कर सकते हैं और गलत परिणाम दे सकते हैं।
पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए बीओडी ( Biological Oxygen Demand )परीक्षण एक मूल्यवान उपकरण है, लेकिन उन कारकों से अवगत होना महत्वपूर्ण है जो परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।