Biochar and Its Benefit In Agriculture

Biochar and Its Benefit In Agriculture (बायोचार और कृषि में इसके लाभ)

बायोचार (Biochar) आज की कृषि में एक क्रांतिकारी नवाचार के रूप में उभर रहा है, जो न केवल मिट्टी की गुणवत्ता और फसल उत्पादकता को बढ़ाता है बल्कि कृषि के कई अन्य पहलुओं से भी जुड़ा है।

Biochar and Its Benefit In Agriculture

बायोचार जैविक कचरे या फसल अवशेष के सीमित ऑक्सीजन में उच्च तापमान पर पायरोलिसिस के माध्यम से बनता है, जिससे एक झरझरा, कार्बन युक्त ठोस सामग्री तैयार होती है।

मिट्‌टी की उर्वरता और संरचना में सुधार

बायोचार (Biochar) का सबसे मुख्य लाभ इसकी मिट्टी सुधार क्षमता है। यह पोषक तत्वों को मिट्टी में लंबे समय तक संचित रखता है, जिससे लीचिंग कम होती है और पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है। इसकी छिद्रयुक्त बनावट मृदा जलधारण और वातन को भी बढ़ाती है, जिससे जड़ों को ऑक्सीजन और पानी बेहतर मिलता है। बायोचार मिट्टी की अम्लता को संतुलित करने, पोषक तत्वों की अदला-बदली क्षमता (CEC) बढ़ाने और लाभकारी सूक्ष्मजीवों के लिए आदर्श वातावरण देने में भी मदद करता है।

टिकाऊ कृषि और फसल उत्पादन में वृद्धि

बायोचार का नियमित उपयोग सतत और जैविक खेती को प्रोत्साहित करता है, जिससे लंबे समय तक मिट्टी की उत्पादकता बनी रहती है। अनुसंधानों ने प्रमाणित किया है कि बायोचार के प्रयोग से फसल उत्पादन में 5% से 51% तक की बढ़ोतरी देखी जाती है, विशेषकर कम उपजाऊ भूमि में। यह बीज अंकुरण, पौधों का विकास और उपज को श्रेय देने में भी सहायक साबित होता है।

उर्वरक एवं सिंचाई की आवश्यकता कम

बायोचार (Biochar) पोषक तत्वों की पकड़ मजबूत करता है, जिससे रासायनिक उर्वरकों की खपत घटती है और किसानों की खेती लागत कम होती है। इसकी जलधारण क्षमता के कारण सिंचाई की आवृत्ति भी घट जाती है, जो सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बहुत फायदेमंद है।

फसल अवशेष एवं अपशिष्ट प्रबंधन

बायोचार उत्पादन के लिए फसल अवशेष (जैसे धान की पराली, गन्ने की खोई आदि) का उपयोग किया जाता है, जिससे खेतों में पराली जलाना और प्रदूषण दोनों कम होते हैं और जैविक कचरे का पुनर्शोधन होता है।

पशुपालन व खाद प्रबंधन में भूमिका

बायोचार पशुपालन क्षेत्र में भी लाभकारी है। इसे पशु चारे में मिलाकर देने पर यह पशु आहार की गुणवत्ता बढ़ाता है और भोजन के पाचन तंत्र में सुधार लाता है। पशुओं के बिस्तर या खाद में बायोचार मिलाने से गंध कम होती है और जैविक खाद की गुणवत्ता बढ़ती है, जिसके दीर्घकालिक लाभ मृदा स्वास्थ्य (Soil Health) में दिखते हैं।

मल्चिंग, हाइड्रोपोनिक्स, व मृदा उपचार

मल्चिंग के लिए जैविक पदार्थों के साथ मिलाकर उपयोग किए गए बायोचार से भूमि को कार्बनिक पदार्थ और पोषकता निरंतर मिलती रहती है। हाइड्रोपोनिक एवं एरोपोनिक खेती में बायोचार के ग्रोइंग मीडियम के रूप में बेहतरीन उपयोग की संभावनाएँ खुलती हैं, क्योंकि इसमें जल व पोषक तत्वों को थामने की बेहतरीन शक्ति होती है।

प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण

बायोचार (Biochar) जैविक और रासायनिक प्रदूषण को खेतों, जल निकासी खाइयों, तालाबों व नदियों में नियंत्रित कर सकता है। यह भारी धातु, पेस्टीसाइड और अन्य प्रदूषकों को अवशोषित कर जलवायु व पर्यावरण की रक्षा करता है।

भूमंडलीय जलवायु और कार्बन पृथक्करण

बायोचार के प्रयोग से कार्बन सैंकड़ों वर्षों तक मृदा में स्थिर रहता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटता है और जलवायु प्रबंधन में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

बायोचार न केवल मृदा एवं फसल उत्पादकता के लिए वरदान है, बल्कि यह टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील कृषि के नए द्वार भी खोलता है। इसका बहुआयामी उपयोग पशुपालन, खाद प्रबंधन, अपशिष्ट निपटान, जल संरक्षण, जैविक खेती एवं जलवायु प्रबंधन में कृषि को एक स्मार्ट, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य प्रदान करता है।

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