जैव विविधता (Biodiversity): महत्व, प्रकार, संरक्षण और भारत में स्थिति
जैव विविधता क्या है, इसके प्रकार, महत्व और संरक्षण उपायों के बारे में जानिए। भारत में जैव विविधता की वर्तमान स्थिति और इसे बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी इस लेख में दी गई है।

जैव विविधता क्या है?
जैव विविधता या Biodiversity का अर्थ है—पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों और उनके आवासों की विविधता। इसमें सूक्ष्म जीवाणु से लेकर विशाल वृक्ष और पशु-पक्षी तक सभी शामिल हैं। दुनिया का हर पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) इन जीवों के आपसी संबंधों और संतुलन पर निर्भर करता है।
जैव विविधता तीन प्रमुख स्तरों पर पाई जाती है:
- आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity): किसी एक प्रजाति के भीतर पाए जाने वाले जीनों का अंतर। उदाहरण के लिए, धान की विभिन्न किस्मों में आनुवंशिक विविधता होती है।
- प्रजाति विविधता (Species Diversity): एक पारिस्थितिकी तंत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की संख्या।
- परितंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): वन, घासभूमि, मरुभूमि, नदी या समुद्र जैसे विभिन्न प्राकृतिक आवासों की विविधता।
जैव विविधता का महत्व
जैव विविधता हमारे जीवन का आधार है। यह न केवल पर्यावरण को संतुलित रखती है बल्कि मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा करती है।
- खाद्य सुरक्षा: अनाज, फल, सब्जियाँ, दालें आदि जैव विविधता के कारण ही उपलब्ध हैं।
- औषधीय मूल्य: अधिकांश आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाएं पौधों और जीवाणुओं से प्राप्त होती हैं।
- जलवायु संतुलन: वनस्पति और वन पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं।
- पारिस्थितिक सेवाएं: परागण, पोषक चक्र, जल शुद्धिकरण और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में जैव विविधता अहम भूमिका निभाती है।
जैव विविधता के प्रकार
- स्थलीय जैव विविधता (Terrestrial Biodiversity): भूमि आधारित जीव-जंतु और पौधे जैसे वन, घासभूमि, पर्वतीय क्षेत्र आदि।
- जलीय जैव विविधता (Aquatic Biodiversity): समुद्र, झील, नदी और दलदली क्षेत्रों में पाए जाने वाले जीव।
- सूक्ष्म जैव विविधता (Microbial Biodiversity): जीवाणु, कवक और सूक्ष्म शैवाल, जो पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में मदद करते हैं।
भारत में जैव विविधता की स्थिति
भारत मेगा विविधता वाले 17 देशों में शामिल है। यहां लगभग 47,000 से अधिक पौधों की और 89,000 से अधिक जानवरों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मुख्य जैव विविधता वाले क्षेत्र हैं:
- पश्चिमी घाट
- पूर्वी हिमालय
- सुंदरबन
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
यह क्षेत्र न केवल नई प्रजातियों का घर हैं बल्कि कई विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए भी आश्रय स्थल हैं जैसे—शेर, बाघ, गैंडा, और एशियाई हाथी।
जैव विविधता को खतरे
- वनों की कटाई और शहरीकरण
- अवैध शिकार और व्यापार
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण
- विदेशी आक्रामक प्रजातियाँ (Invasive Species)
ये सभी कारक कई प्रजातियों को विलुप्ति की कगार पर पहुँचा रहे हैं।
जैव विविधता संरक्षण के उपाय
- संवर्धन (In-situ Conservation): प्राकृतिक निवास स्थान में जीवों की रक्षा जैसे राष्ट्रीय उद्यान (National Parks), वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries)।
- संरक्षण (Ex-situ Conservation): प्राकृतिक स्थान से बाहर प्रजातियों का संरक्षण जैसे चिड़ियाघर, जीन बैंक, बॉटनिकल गार्डन।
- कानूनी कदम: भारत में जैव विविधता अधिनियम 2002, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं।
- समुदाय की भागीदारी: स्थानीय लोगों की सहभागिता से संरक्षण कार्य अधिक प्रभावी बनता है।
निष्कर्ष
जैव विविधता केवल प्रकृति का सौंदर्य नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की नींव है। यदि हमने अभी से इसके संरक्षण के प्रयास तेज नहीं किए, तो मानव सभ्यता पर गंभीर खतरे मंडरा सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा में योगदान देना चाहिए — यही सतत विकास (Sustainable Development) का सच्चा मार्ग है।
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