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Important Questions for Madhyamik Life Science Reflex arc
प्रतिवर्ती चाप ( Reflex arc )क्या है ? एक प्रतिवर्ती चाप के विभिन्न भागों का वर्णन करें |
उत्तर – प्रतिवर्ती चाप : वह वक्र मार्ग जिससे होकर प्रतिवर्ती क्रिया सम्पन्न होती है उसे प्रतिवर्ती चाप कहते हैं। प्रतिवर्ती चाप के भाग :- प्रतिवर्ती चाप के निम्नलिखित भाग होते हैं –
1) ग्राही अंग (Receptors) – यह त्वचा, पेशियों तथा अन्य अंगों में मौजूद रहते हैं । इसके द्वारा वातावरण में उत्पन्न उद्दीपन को ग्रहण किया जाता है । यह संवेदी तंत्रिकाओं के अंतिम सिरे हैं।
2) संवेदना मार्ग ( Sensory path ) – संवेदी न्यूरॉन्स ग्राही अंगों द्वारा उद्दीपनों को ग्रहण कर तंत्रिका केंद्र की ओर पहुंचाते हैं । ये संवेदी न्यूरॉन्स संवेदना मार्ग का निर्माण करते हैं ।
3) तंत्रिका केंद्र (Nerve Centre) – मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड तंत्रिका केंद्र का कार्य करते हैं । यह संवेदना मार्ग से आए हुए संदेशों को प्राप्त कर उचित आदेश देने का कार्य करते हैं । यहां पर एफरेंट या संवेदी न्यूरॉन मोटर या इफरेंट न्यूरॉन के साथ मिलकर सिनेप्स का निर्माण करते हैं जिसके द्वारा संवेदी आवेग चालक आवेश में बदल जाता है।
4) प्रेरक मार्ग (Motor path) – प्रेरक न्यूरॉन प्रेरक मार्ग का निर्माण करते हैं । यह तंत्रिका केंद्र से आवेग को प्रतिचार के रूप में उद्दीपन अंगों तक पहुंचा देतें है ।
5) प्रभावक अंग (Effectors) – पेशियां, ग्रंथियां आदि प्रभावक अंग कहलाते हैं । यहाँ केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से प्राप्त आदेशों के अनुसार उचित अनुक्रिया होती है । यहां पर चालक न्यूरॉन ( Motor neurones) के अंतिम सिरे होते हैं ।
Reflex Arc ( प्रतिवर्ती चाप )
विभिन्न प्रतिवर्ती क्रियाओं का दैनिक जीवन में महत्त्व ( Importance of different reflexes in every day life ) : संवेदी अंगों या ग्राही अंगों द्वारा ग्रहण किए गए उद्दीपनों को संवेदी या अभिवाही तंत्रिका द्वारा स्पाइनल कॉर्ड में ले जाकर तुरन्त ही उसका प्रत्युत्तर चालक या अपवाही या चालक तंत्रिकाओं द्वारा पेशियों या ऊतक अंगों में लाकर उनको उत्तेजित करता है, जैसे – पलकों का झपकना (blinking of eye), छींकना ( sneezing ) तथा खाँसना ( coughing ) इत्यादि स्वाभाविक क्रियाएँ जो हमारी दैनिक जीवन में काफी महत्त्व रखती हैं ।
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